गांधी जी - शास्त्री जी की ये बातें सिखाती हैं जीवन जीने की कला ।
2 अक्टूबर को देश की दो महानविभूतियों महात्मा गांधी (2 अक्टूबर 1869 ) और लालबहादुर शास्त्री ( 2 अक्टूबर 1904) ने जन्म लिया था। इन दोनों स्वतंत्रता सेनानियों ने देश को ब्रिटिश हुकूमत से आजाद कराने में अतिमहत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
बापू ने हमें 'सत्य और अहिंसा' के मार्ग पर चलना सिखाया, तो शास्त्री जी ने 'जय जवान-जय किसान' का नारा दिया।
जो जीवन जीने की कला सिखाते हैं। आइये आपको गांधी जी और शास्त्री जी के कुछ ऐसे ही विचारों से रूबरू कराते हैं।
* ऐसे जिएं जैसे कि आपको कल मरना है और सीखें ऐसे, जैसे आपको हमेशा जीवित रहना है।
* डर शरीर की बीमारी नहीं है, यह आत्मा को मारता है।
* विश्वास करना एक गुण है, अविश्वास दुर्बलता की जननी।
* जो समय बचाते हैं वे धन बचाते हैं और बचाया धन, कमाए हुए धन के समान महत्वपूर्ण है।
* आंख के बदले आंख पूरे विश्व को अंधा बना देगी।
* आजादी का कोई मतलब नहीं यदि इसमें गलती करने की आजादी शामिल न हो।
* प्रसन्नता ही एकमात्र ऐसा इत्र है, जिसे आप दूसरों पर छिड़ते हैं तो कुछ बूंदें आप पर भी पड़ती हैं।
* पहले वह आप पर ध्यान नहीं देंगे, फिर आप पर हंसेंगे, फिर आपसे लड़ेंगे और तब आप जीत जाएंगे।
* व्यक्ति की पहचान उसके कपड़ों से नहीं उसके चरित्र से होती है।
* आप जो भी करते हैं, वह कम महत्वपूर्ण हो सकता है, लेकिन सबसे महत्वपूर्ण यह है कि आप कुछ करें।
* आर्थिक मुद्दे हमारे लिए सबसे जरूरी हैं, जिससे हम अपने सबसे बड़े दुश्मन गरीबी और बेराजगारी से लड़ सकें।
* लोगों को सच्चा लोकतंत्र और स्वराज कभी भी हिंसा और असत्य से प्राप्त नहीं हो सकता।
* कानून का सम्मान किया जाना चाहिए, ताकि हमारे लोकतंत्र की बुनियादी संरचना बरकरार रहे और, और भी मजबूत बने।
* जो शासन करते हैं, उन्हें देखना चाहिए कि लोग प्रशासन पर किस तरह प्रतिक्रिया करते हैं। अंतत: जनता ही मुखिया होती है।