Skip to main content

गणतंत्र दिवस पर एक भाषण।

सबको शुभ प्रभात।
आप सबको गणतंत्र दिवस की शुभकामनाएं आज मैं इस शुभ अवसर पर आप सभा को कुछ बताना चाहता/चाहती हूं माननीय प्रधानाचार्य जी, अध्यापक गण, गणमान्य अतिथि गण एवं मेरे सहपाठी।
आप सभी को गणतंत्र दिवस के लिए हार्दिक शुभकामनाएं।
आज हमारा देश का-----वा गणतंत्र दिवस मनाने के लिए इकट्ठा हुए हैं। 
हमारे साथ ही इस दिवस को पूरे देश में मनाया जाता है। स्कूलों में इस राष्ट्र दिवस को मनाने का एक विशेष महत्व है। क्योंकि स्कूलों में पढ़ने वाले युवा पीढ़ी को बड़े होकर भारत की बागडोर को संभालना है और दिशा निर्देश करना है। ये बच्चें कल के नेता बनाएंगे। 
इसलिए हमारे अध्यापकों द्वारा बताए गए राह पर चलने से हम योग्य नेता नागरिक बना सकेंगे। हम हर सुबह स्कूल असेंबली में प्रण लेते है कि हम सब भारतवासी हैं सारे भारतवासी भाई-बहन हैं परंतु अफसोस की बात यह है कि हम बड़े होने के बाद यह सारे तरीके और संकल्प भूल जाते हैं और कुछ स्वार्थी तत्वों के झांसे में आकर जाति धर्म के नाम पर लड़ना झगड़ना शुरू कर देते हैं। इसलिए हम अध्यापकों द्वारा सिखाए गए शब्द को भी भूल जाते हैं कि हमारा भारत देश अनेकता में एकता का अनूठा उदाहरण है अनेकता में एकता होने के बाद भी हमारा देश बहुत सुंदर है। हमारे देश की खूबसूरती की कल्पना स्वर्ग से की जाती है। तो क्या हमारा कर्तव्य नहीं बनता है कि हम अपने देश के भविष्य को और उज्जवल करें।
प्यारे दोस्तों इसके लिए हमें एक विद्यार्थी होने के नाते कड़ी मेहनत करनी होगी। अपने माता-पिता और अध्यापकों के सुझावों पर गौर करना होगा उसका पालन करना होगा अपने से बड़ों द्वारा दिए गए दिशा निर्देशों का पालन करना होगा। हमें केवल परीक्षा में अच्छे अंक नहीं लानी है बल्कि उन मूल्यों और नैतिकता का पालन करना है जो हमें स्कूलों में सिखाए जाते हैं। तब हमारा गणतंत्र दिवस सराहनीय और शोभनीय कहलाएगा। जब हम अपना काम ईमानदारी और निष्ठा पूर्वक करेंगे।हम सब उन्हें नैतिक मूल्यों और आदर्शों का पालन करेंगे। जिनके लिए हमारा भारत सदैव जाना जाता है। इसलिए इस अवसर पर हम सब अपने भारत के सुंदर और सुनहरी भविष्य की कल्पना करते हुए एक साथ बोलेंगे जय हिंद जय भारत हिंदुस्तान जिंदाबाद!

Popular posts from this blog

2 October * ये बातें सिखाती हैं

गांधी जी - शास्त्री जी की ये बातें सिखाती हैं जीवन जीने की कला । 2 अक्टूबर को देश की दो महानविभूतियों महात्मा गांधी (2 अक्टूबर 1869 ) और लालबहादुर शास्त्री ( 2 अक्टूबर 1904) ने जन्म लिया था। इन दोनों स्वतंत्रता सेनानियों ने देश को ब्रिटिश हुकूमत से आजाद कराने में अतिमहत्वपूर्ण भूमिका निभाई।  बापू ने हमें 'सत्य और अहिंसा' के मार्ग पर चलना सिखाया, तो शास्त्री जी ने 'जय जवान-जय किसान' का नारा दिया। जो जीवन जीने की कला सिखाते हैं। आइये आपको गांधी जी और शास्त्री जी के कुछ ऐसे ही विचारों से रूबरू कराते हैं। * ऐसे जिएं जैसे कि आपको कल मरना है और सीखें ऐसे, जैसे आपको हमेशा जीवित रहना है। * डर शरीर की बीमारी नहीं है, यह आत्मा को मारता है।  * विश्वास करना एक गुण है, अविश्वास दुर्बलता की जननी।  * जो समय बचाते हैं वे धन बचाते हैं और बचाया धन, कमाए हुए धन के समान महत्वपूर्ण है।  * आंख के बदले आंख पूरे विश्व को अंधा बना देगी। * आजादी का कोई मतलब नहीं यदि इसमें गलती करने की आजादी शामिल न हो। * प्रसन्नता ही एकमात्र ऐसा इत्र है, जिसे आप दूसरों पर छिड़ते हैं तो कुछ बूंदे...

List of Union Territories and all states of India in 2022.

State                                      Capital 01. Andhra Pradesh.        Hyderabad 02. Arunachal Pradesh.   Itanagar 03. Assam.                        Dispur 04. Bihar.                            Patna 05. Chhattisgarh.              Raipur 06. Goa.                              Panaji 07. Gujarat.                        Gandhinagar 08. Haryana.                      Chandigarh 09. Himachal Pradesh.     Shimla 10. Jharkhand.                   Ranchi ...

कारक * संज्ञा या सर्वनाम के जिस रुप से उसका संबंध वाक्य के दूसरे शब्दों से पता चले, वह कारक है।

कारक संज्ञा या सर्वनाम के जिस रुप से उसका संबंध वाक्य के दूसरे शब्दों से पता चले, वह कारक है। (जो क्रिया की उत्पत्ति में सहायक हो, उसे 'कारक' कहा जाता है।) कारक के आठ भेद 1. कर्त्ता 5. अपादान 2. कर्म 6. सम्बन्ध 3. करण 7. अधिकरण 4. सम्प्रदान 8. सम्बोधन कारक को प्रकट करने वाले शब्द कारक चिन्ह या परसर्ग कहलाता है। ….............*................. 1. कर्ता कारक - ने * काम करने वाले को 'कर्त्ता' कारक कहते हैं। जैसे:—अमर ने पीटा है इस वाक्य में पीटने का काम अमर ने किया है। अतः इस वाक्य का कर्त्ता 'अमर' है। नोट- कौन करता है? प्रश्न से जो उत्तर निकलता है, उसे कर्त्ता कहा जाता है। कर्त्ता के चिह्न 'ने' और शून्य'0' हैं । ….............*................. 2. कर्म कारक - को * जिस पर काम का फल पड़ता है, उसे 'कर्म' कारक कहते हैं। जैसे:— अमर ने रोहन को मारा। इस वाक्य में मारने का फल रोहन पर पड़ता है, अतः रोहन वाक्य का 'कर्म' है। कर्म के चिह्न' को ' और शून्य '0' हैं। ….............*................. 3. करण कारक...