Skip to main content

व्याकरण परिचय * किसी विषय का अध्ययन प्रारम्भ करने के पहले उस विषय की परिभाषा जान लेना आवश्यक है। यहाँ आप व्याकरण का अध्ययन प्रारम्भ कर रहे हैं। अतः व्याकरण के सम्बन्ध में जान लेना आवश्यक है।


किसी विषय का अध्ययन प्रारम्भ करने के पहले उस विषय की परिभाषा जान लेना आवश्यक है। 

* भाषा :
हमारे मन में बहुत से भाव उठा करते हैं, जिन्हें हम दूसरे के सामने प्रकट करना चाहते हैं। 

जैसे: हमें भूख लगती है, तो भोजन माँगते हैं, आवाज देकर पुकारते हैं। इन सारी बातों को हम लिखकर या बोलकर प्रकट करते हैं। लिखने या बोलने के लिए भाषा की जरूरत होती है। 

अतः "जिसके द्वारा मनुष्य अपने मन के भावों को लिखकर या बोलकर दूसरों से प्रकट करता है, उसे 'भाषा' कहते हैं।"

'भाषा' वाक्यों के मेल से , 
'वाक्य' शब्दों के मेल से , 
'शब्द' अक्षरों के मेल से  मिलकर बनती है।

अतः अक्षर, शब्द और वाक्य ये तीनों ही 'भाषा' के मूल आधार हैं।

* व्याकरण :
हर 'भाषा' की व्यवस्था के लिए 'व्याकरण' की जरूरत होती है। "व्याकरण" भाषा के लिए कानून की किताब है। यह भाषा के नियमों को संग्रह करता है।

"व्याकरण वह शास्त्र है जिसके पढ़ने से मनुष्य शुद्ध-शुद्ध लिखना, पढ़ना और बोलना सीखता है।"

व्याकरण के मुख्यतः तीन भेद हैं :
1. वर्ण-विचार ।
2. शब्द-विचार ।
3. वाक्य-विचार।

4. चिन्ह- विचार।
5. छंद-विचार ।

1. वर्ण-विचार   (Orthagraphy)
वर्ण-विचार व्याकरण का वह भाग है जिसके अंतर्गत विभिन्न प्रकार के वणों का अध्ययन किया जाता है 
जैसे:-  स्वर व्यंजन इत्यादि।

2. शब्द-विचार  (Etymology)
शब्द विचार व्याकरण का वह भाग है जिसके अंतर्गत (शब्द-भेद एवं शब्द संरचना) विभिन्न प्रकार के शब्दों का अध्ययन किया जाता है।
शब्द भेद के माध्यम से शब्दों का विस्तार:-
संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण, क्रिया, क्रिया-विशेषण, संबंधबोधक अव्यय, संयोजक अव्यय, विस्मयादिबोधक अव्यय

3. वाक्य-विचार  (Syntax)
वाक्य विचार व्याकरण का वह भाग है जिसके अंतर्गत विभिन्न प्रकार के वाक्यों की संरचना का अध्ययन किया जाता है।
अर्थ की दृष्टि से वाक्य संरचना:- कथन वाक्य, आदेश सूचक वाक्य, प्रश्नवाचक वाक्य, विस्मयादि बोधक वाक्य।
वाक्य गठन की दृष्टि से:- सरल वाक्य, मिश्र वाक्य, संयुक्त वाक्य।


4. चिन्ह- विचार  (Prosody)
विराम चिन्ह व्याकरण की एक शाखा है जो हमें विभिन्न प्रकार के संकेतों और प्रतीकों के बारे में सिखलाती है
पूर्ण विराम ( । ),  प्रश्नवाचक चिन्ह ( ? ), 
अल्पविराम ( , ),  अपूर्ण विराम ( : ), 
अर्धविराम ( ; ),   विस्मयादिबोधक चिन्ह (!),
विवरण चिन्ह ( :- ) कोष्ठक चिन्ह (), [ ] , { }

Popular posts from this blog

2 October * ये बातें सिखाती हैं

गांधी जी - शास्त्री जी की ये बातें सिखाती हैं जीवन जीने की कला । 2 अक्टूबर को देश की दो महानविभूतियों महात्मा गांधी (2 अक्टूबर 1869 ) और लालबहादुर शास्त्री ( 2 अक्टूबर 1904) ने जन्म लिया था। इन दोनों स्वतंत्रता सेनानियों ने देश को ब्रिटिश हुकूमत से आजाद कराने में अतिमहत्वपूर्ण भूमिका निभाई।  बापू ने हमें 'सत्य और अहिंसा' के मार्ग पर चलना सिखाया, तो शास्त्री जी ने 'जय जवान-जय किसान' का नारा दिया। जो जीवन जीने की कला सिखाते हैं। आइये आपको गांधी जी और शास्त्री जी के कुछ ऐसे ही विचारों से रूबरू कराते हैं। * ऐसे जिएं जैसे कि आपको कल मरना है और सीखें ऐसे, जैसे आपको हमेशा जीवित रहना है। * डर शरीर की बीमारी नहीं है, यह आत्मा को मारता है।  * विश्वास करना एक गुण है, अविश्वास दुर्बलता की जननी।  * जो समय बचाते हैं वे धन बचाते हैं और बचाया धन, कमाए हुए धन के समान महत्वपूर्ण है।  * आंख के बदले आंख पूरे विश्व को अंधा बना देगी। * आजादी का कोई मतलब नहीं यदि इसमें गलती करने की आजादी शामिल न हो। * प्रसन्नता ही एकमात्र ऐसा इत्र है, जिसे आप दूसरों पर छिड़ते हैं तो कुछ बूंदे...

List of Union Territories and all states of India in 2022.

State                                      Capital 01. Andhra Pradesh.        Hyderabad 02. Arunachal Pradesh.   Itanagar 03. Assam.                        Dispur 04. Bihar.                            Patna 05. Chhattisgarh.              Raipur 06. Goa.                              Panaji 07. Gujarat.                        Gandhinagar 08. Haryana.                      Chandigarh 09. Himachal Pradesh.     Shimla 10. Jharkhand.                   Ranchi ...

स्वर सन्धि

* स्वर सन्धि * दो स्वर वर्णों के मिलने से जो विकार उत्पन्न होता है, उसे स्वर सन्धि कहते है। पुस्तक + आलय = पुस्तकालय यहाँ 'पुस्तक' शब्द का अंतिम स्वर 'अ' (क = क्+अ) एवं 'आलय' शब्द का पहला स्वर 'आ' दोनों स्वरों के मिलने (अ+आ) से 'आ' स्वर की उत्पत्ति होती है, जिससे पुस्तकालय शब्द का निर्माण हुआ स्वरों के ऐसे मेल को स्वर संधि कहते हैं। स्वर सन्धि के पाँच भेद हैं : 1. दीर्घ सन्धि 2. गुण सन्धि 3. वृद्धि सन्धि 4. यण् सन्धि 5. अयादि सन्धि । 1. दीर्घ सन्धि दीर्घ सन्धि : ह्रस्व स्वर या दीर्घ स्वर के आपस में मिलने से यादि सवर्ण यानि उसी जाति के दीर्घ स्वर की उत्पत्ति हो तो उसे दीर्घ स्वर कहते हैं। अ / आ + अ / आ = आ       इ / ई + इ / ई = ई उ / ऊ + उ / ऊ = ऊ            जैसे:- 1.'अ / आ' के साथ 'अ / आ' हो तो 'आ' बनता है (अ + अ = आ)  हिम + अचल = हिमाचल। (अ + आ = आ)  रत्न + आकर = रत्नाकर    (आ + अ = आ)  विद्या + अर्थी = विद्यार्थी     (आ + आ = आ) वि...