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पर्यायवाची शब्द

पर्यायवाची शब्द
अर्थ की समानता वाले शब्दों को पर्यायवाची शब्द कहते हैं।

अग्नि- आग, पावक, दहन, ज्वाला, अनल।
असुर- दानव, दनुज, राक्षस, निशाचर, दैत्य।
अमृत- पीयूष, सुधा, अमिय।
आकाश- व्योम, गगन, नभ, अम्बर, आसमान, शून्य।
आंख- नेत्र, लोचन, नयन, चक्षु, दृग
इंद्र- सुरपति, देवेन्द्र, महेन्द्र, देवराज, देवेश
कपड़ा- वस्त्र, पट, वसन, चीर, अम्बर।
कमल- पंकज, सरोज, राजीव, पद्म, नलिन, तामरस।
कामदेव- अनंग, मदन, काम, रतिपति, मनोज, मयन।
गणेश- लम्बोदर, गजवदन, विनायक, गणपति, गौरीसुत।
गंगा- देवनदी, भागीरथी, विष्णुपदी, जाह्नवी, त्रिपथगा।
घोड़ा- अश्व, हय, तुरंग, घोटक, बाजी।
घर- गृह, सदन, भवन, आलय, निकेतन, कुटीर।
चतुर- निपुण, चालाक, होशियार, प्रवीण।
चंद्रमा- चाँद, चन्द्र, हिमांशु, द्विजराज, शशि, राकेश, सोम।
चिड़िया- पक्षी, खग, अण्डज, विहंग, पंछी।
जल- पानी, नीर, पय, रस, पानीय, तोय।
जंगल- वन, अरण्य, विपिन, कानन, अटवी।
तालाब- सरोवर, सर, पुष्कर, पद्माकर, तड़ाग।
दास- सेवक, नौकर, अनुचर, चाकर।
दुर्गा- चण्डिका, अजा, भवानी, कालिका।
देवता- सुर, देव, अमर, विबुध, त्रिदश।
नदी- सरिता, निम्नगा, निर्झरिणी।
नारी- स्त्री, महिला, कामिनी, रमणी, बाला, ललना, अंगना।
नाव- नैया, नौका, तरणी, तरी।
पति- स्वामी, आर्यपुत्र, बल्लभ, भर्ता।
पत्नी- दारा, गृहिणी, बहू, वधू, तिय, वामा।
पर्वत- गिरि, शैल, पहाड़, नग, भूधर ।
पार्वती- गौरी, शिवा, भवानी, रुद्राणी, आर्या ।
पुत्र- तनय, सुत, बेटा, लड़का, आत्मज
पुत्री- बेटी, सुता, तनया, तनूजा, आत्मजा।
पृथ्वी- भू, भूमि, धरती, वसुधा, वसुन्धरा।
प्रकाश- ज्योति, द्युति, प्रभा, आभा।
फूल- पुष्प, सुमन, प्रसून, कुसुम ।
बाण- तीर, सर, नाराच, इषु, आशुग।
बिजली- विद्युत, दामिनी, चपला, चंचला, तड़ित् ।
भौंरा- भ्रमर, मधुकर, भँवरा, अलि ।
यमराज- धर्मराज, मृत्युदेव, अन्तक, पितृपति।
रात- रात्रि, निशा, रैन, रजनी, विभावरी, तमी ।
राजा- महीप, सम्राट्, नृप, भूप, नरेश ।
लक्ष्मी- कमला, रमा, श्री, पद्मा, इन्दिरा ।
विष्णु- नारायण, हरि, जनार्दन, माधव ।
शरीर- देह, वदन, तनु, काय, गात्र।
समुद्र- सागर, जलधि, वारिधि, उदधि, सिन्धु ।
सरस्वती- शारदा, भारती, गिरा, वागीश्वरी, विधात्री, वाग्देवी।
सुन्दर- रम्य, रमणीय, मनोहर, चारु, रुचिर ।
सोना- कनक, स्वर्ण, कंचन, हेम, हाटक।
सूर्य- दिवाकर, रवि, दिनकर, भास्कर, आदित्य, भानु, अर्क।
हवा- वायु, समीर, अनिल, पवमान, पवन ।
हाथी- गज, मतंग, हस्ती, करी, दन्ती, वारण ।


(घ) नाव, पति, पत्नी, पर्वत, पार्वती।
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2 October * ये बातें सिखाती हैं

गांधी जी - शास्त्री जी की ये बातें सिखाती हैं जीवन जीने की कला । 2 अक्टूबर को देश की दो महानविभूतियों महात्मा गांधी (2 अक्टूबर 1869 ) और लालबहादुर शास्त्री ( 2 अक्टूबर 1904) ने जन्म लिया था। इन दोनों स्वतंत्रता सेनानियों ने देश को ब्रिटिश हुकूमत से आजाद कराने में अतिमहत्वपूर्ण भूमिका निभाई।  बापू ने हमें 'सत्य और अहिंसा' के मार्ग पर चलना सिखाया, तो शास्त्री जी ने 'जय जवान-जय किसान' का नारा दिया। जो जीवन जीने की कला सिखाते हैं। आइये आपको गांधी जी और शास्त्री जी के कुछ ऐसे ही विचारों से रूबरू कराते हैं। * ऐसे जिएं जैसे कि आपको कल मरना है और सीखें ऐसे, जैसे आपको हमेशा जीवित रहना है। * डर शरीर की बीमारी नहीं है, यह आत्मा को मारता है।  * विश्वास करना एक गुण है, अविश्वास दुर्बलता की जननी।  * जो समय बचाते हैं वे धन बचाते हैं और बचाया धन, कमाए हुए धन के समान महत्वपूर्ण है।  * आंख के बदले आंख पूरे विश्व को अंधा बना देगी। * आजादी का कोई मतलब नहीं यदि इसमें गलती करने की आजादी शामिल न हो। * प्रसन्नता ही एकमात्र ऐसा इत्र है, जिसे आप दूसरों पर छिड़ते हैं तो कुछ बूंदे...

List of Union Territories and all states of India in 2022.

State                                      Capital 01. Andhra Pradesh.        Hyderabad 02. Arunachal Pradesh.   Itanagar 03. Assam.                        Dispur 04. Bihar.                            Patna 05. Chhattisgarh.              Raipur 06. Goa.                              Panaji 07. Gujarat.                        Gandhinagar 08. Haryana.                      Chandigarh 09. Himachal Pradesh.     Shimla 10. Jharkhand.                   Ranchi ...

स्वर सन्धि

* स्वर सन्धि * दो स्वर वर्णों के मिलने से जो विकार उत्पन्न होता है, उसे स्वर सन्धि कहते है। पुस्तक + आलय = पुस्तकालय यहाँ 'पुस्तक' शब्द का अंतिम स्वर 'अ' (क = क्+अ) एवं 'आलय' शब्द का पहला स्वर 'आ' दोनों स्वरों के मिलने (अ+आ) से 'आ' स्वर की उत्पत्ति होती है, जिससे पुस्तकालय शब्द का निर्माण हुआ स्वरों के ऐसे मेल को स्वर संधि कहते हैं। स्वर सन्धि के पाँच भेद हैं : 1. दीर्घ सन्धि 2. गुण सन्धि 3. वृद्धि सन्धि 4. यण् सन्धि 5. अयादि सन्धि । 1. दीर्घ सन्धि दीर्घ सन्धि : ह्रस्व स्वर या दीर्घ स्वर के आपस में मिलने से यादि सवर्ण यानि उसी जाति के दीर्घ स्वर की उत्पत्ति हो तो उसे दीर्घ स्वर कहते हैं। अ / आ + अ / आ = आ       इ / ई + इ / ई = ई उ / ऊ + उ / ऊ = ऊ            जैसे:- 1.'अ / आ' के साथ 'अ / आ' हो तो 'आ' बनता है (अ + अ = आ)  हिम + अचल = हिमाचल। (अ + आ = आ)  रत्न + आकर = रत्नाकर    (आ + अ = आ)  विद्या + अर्थी = विद्यार्थी     (आ + आ = आ) वि...