स्वर्ण जयंती मना चुके हैं शताब्दी फिर मनायेंगे
दिल्ली के लाल किले पर हम तिरंगा फहराएंगे।
आदरणीय प्रधानाध्यापक महोदय,
परम आदरणीय व्यवस्थापक महोदय, उपस्थित सज्जनों एवं मेरे प्यारे भाइयों और बहनों।
आज ............. है। इसके शुभ अवसर पर कुछ बोलने का मौका मिला है। इसमें जो भी गलतियां होंगी उसे आप लोग नजरअंदाज कीजिएगा।
* साह चुके हैं बहुत गुलामी अब नहीं सह पाएंगे।
सदा दिल्ली के लाल किले पर हम तिरंगा फहराएंगे।
शादियों के गुलामी के बाद हमारा देश 1947 को आजाद तो हो गया लेकिन हमारे देश में अपना संविधान नहीं था अंग्रेजों के संविधान पर हमारा देश चल रहा था तभी हमारे देश के कुछ महापुरुषों ने अपना संविधान लिखना शुरू कर दिया।
* सत्य अहिंसा को अपनाकर अखंड एकता बनाएंगे
दिल्ली के लाल किले पर हम तिरंगा फहराएंगे।
कड़ी मेहनत और अथक प्रयास से कुछ दिनों बाद हमारा अपना संविधान तैयार हो गया और उसी संविधान को हमारे महापुरुषों ने 26 जनवरी 1950 को लागू किया। इसी संविधान के याद में हमलोग प्रत्येक 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के रूप में मनाते हैं।
* भारत की रक्षा के खातिर फांसी पर चढ़ जाएंगे
सदा दिल्ली के लाल किले पर हम तिरंगा फहराएंगे।
जय हिंद, जय भारत, हिंदुस्तान जिंदाबाद।