साथियों सर्व प्रथम उन अमर शहीदों को मेरा सलाम-
जिन्होंने आजादी रूपी दुल्हन को पाने के लिए खुशी-खुशी फांसी के फंदे को चूम लिया,
सलाम उन जवानों को जिन्होंने कारगिल युद्ध में दुश्मनों के छक्के छुड़ा दिया,
और सलाम उन जवानों को जो सरहद पर डेरा डाले हैं
और सलाम अब्दुल हमीद को जिस ने मिलाया था दिवाली से ईद को ।
साथियों,
प्रत्येक वर्ष हम स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर तिरंगे को बड़े ही उत्साह के साथ गगनचुंबी अवस्था में फहराते हैं राष्ट्रगान, राष्ट्रीय गीत तथा अमर शहीदों की गाथा दोहराते हैं।
दोस्तों,
यह सौभाग्य हम लागों को 75. वर्ष पहले प्राप्त नहीं था।
भारत माता की जय हम नही बोल सकते थे। वंदेमातरम बोलना कानूनन जुर्म था, वंदे मातरम बोलने वाले को फांसी के फंदे पर लटका दिया जाता था। अमन में शान्ति नाम की कोई चीज नहीं थी। वतनपरस्ती को कुचल दिया जाता था। अंग्रेजो के खौफ से मौत भी कापता थी।
साथियों,
जैसा कि आप जानते हैं भारत को सोने की चिड़िया के नाम से, गुरुओं के गुरु के नाम से भी जाना जाता है। इसके साक्षात उदाहरण थे स्वामी विवेकानंद, महाराणा प्रताप, वीर शिवाजी, सुभाष चंद्र बोस, सरदार भगत सिंह, चंद्रशेखर आजाद, वीर सावरकर और झांसी की रानी । इन सभी देशभक्तों ने अपनी कुर्बानियों को देकर हिंदुस्तानियों के मन में विश्वास जगाया और उन्होंने बता दिया कि:-
जिंदगी तो जिंदादिली का नाम है
मुर्दा दिल क्या खाक जिया करते हैं।
आजादी के परवानों की कुर्बानियां देख कर एक तरफ से हिंदुस्तानी बच्चों की आवाज आई।
आवाज देश का है, आशीष देश का है*
आदेश हमें हो तो, यह शीष देश का है।
जिसके आगे बेकार रहते, दुनिया के एटम बम*
विश्वास भरी एक फौज, नई तैयार करेंगे हम।
* हमारे देश के आजादी में कवियों और शायरों की भी महत्वपूर्ण भूमिका रही है। कवियों और शायरों ने हिंदुस्तानियों के मन में अपनी कविता तथा शायरी के द्वारा विश्वास जगाया। कवियों और शायरों ने अपनी लेखनी द्वारा हमारे वजूद को बताया है।
इसी पर एक कवि की कविता है:-
बढ़कर चट्टानों से लड़े, रवानी उसको कहते हैं।
चले तलवारों पर चढ़कर, जवानी उसको कहते हैं।
जमाने की वह हस्ती क्या, जो आए और मिट जाए।
रहे जो कायम मिटाने पर, निशानी उसको कहते हैं।
साथियों,
सैकड़ों वर्ष के अथक प्रयास लाखों कुर्बानियों के बदौलत हमारा देश 15 अगस्त 1947 को आजाद हुआ। आवाम में खुशी की लहर दौड़ गई, पहली बार बड़े उत्साह के साथ देश में तिरंगा लहराया गया, हिंदुस्तानियों को नई रोशनी मिली, एक नई दिशा की और जाने का मौका मिला।
सही रौशनी तो हमें 26 जनवरी 1950 को दिखाया,
जिस दिन हमारा भारतीय संविधान अस्तित्व में आया।
जय हिंद!
जय भारत!
हिंदुस्तान जिंदाबाद!