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Showing posts from October, 2022

हार की जीत

वाणी और कर्म में तालमेल होना चाहिए हार की जीत हार की जीत ह्रिदय परिवर्तन की कहानी है। अद्भुत एवं तीव्र गति तथा मनोहारी रूप वाले सुलतान नाम के घोड़े पर डाकू खड़्गसिंह का माना जाता है और युक्ति पूर्वक वह घोड़े को ले भागता है किंतु खड़्गसिंह डाकू का मन बाबा भारती के एक वाक्य से विह्वल उठता है और उसका ह्रदय पूर्णत: परिवर्तित हो जाता है। वह बाबा भारती को घोड़ा वापस लौटा देता है। वह हिंसक डाकू से अच्छा इंसान बन जाता है।

शिष्टाचार

शिष्टाचार संसार में व्यक्ति अपने उच्च पद, पढ़ाई - लिखाई और धन - दौलत से नहीं बल्कि अपने शिष्ट व्यवहार के कारण ही जाना जाता है। इसलिए हम जीवन में कितना भी आगे बढ़ जाएं परंतु हमें हमेशा विनम्र और परोपकारी बने रहना चाहिए।

कारक * संज्ञा या सर्वनाम के जिस रुप से उसका संबंध वाक्य के दूसरे शब्दों से पता चले, वह कारक है।

कारक संज्ञा या सर्वनाम के जिस रुप से उसका संबंध वाक्य के दूसरे शब्दों से पता चले, वह कारक है। (जो क्रिया की उत्पत्ति में सहायक हो, उसे 'कारक' कहा जाता है।) कारक के आठ भेद 1. कर्त्ता 5. अपादान 2. कर्म 6. सम्बन्ध 3. करण 7. अधिकरण 4. सम्प्रदान 8. सम्बोधन कारक को प्रकट करने वाले शब्द कारक चिन्ह या परसर्ग कहलाता है। ….............*................. 1. कर्ता कारक - ने * काम करने वाले को 'कर्त्ता' कारक कहते हैं। जैसे:—अमर ने पीटा है इस वाक्य में पीटने का काम अमर ने किया है। अतः इस वाक्य का कर्त्ता 'अमर' है। नोट- कौन करता है? प्रश्न से जो उत्तर निकलता है, उसे कर्त्ता कहा जाता है। कर्त्ता के चिह्न 'ने' और शून्य'0' हैं । ….............*................. 2. कर्म कारक - को * जिस पर काम का फल पड़ता है, उसे 'कर्म' कारक कहते हैं। जैसे:— अमर ने रोहन को मारा। इस वाक्य में मारने का फल रोहन पर पड़ता है, अतः रोहन वाक्य का 'कर्म' है। कर्म के चिह्न' को ' और शून्य '0' हैं। ….............*................. 3. करण कारक...