वाक्य विचार
शब्दों के सार्थक समूह को वाक्य कहते हैं।वाक्य के दो अंग होते हैं
1. उद्देश्य
2. विधेयक
1. उद्देश्य: वाक्य के अंतर्गत जिसके बारे में कुछ कहा जाता है, वह उद्देश्य कहलाता है।
जैसे:-
प्रज्ञा पुस्तक पढ़ती है।
सीता चित्र बनाती है।
इन वाक्यों में 'प्रज्ञा' तथा 'सीता' के विषय में कुछ बताया गया है, ये उद्देश्य हैं। उद्देश्य को कर्ता भी कहा जाता है
2. विधेय: वाक्य के अंतर्गत उद्देश्य के बारे में जो कुछ कहा जाता है, उसे विधेय कहते है।
जैसे:- उपर्युक्त वाक्यों में उद्देश्यों के बारे में कुछ कहा गया है-
'पुस्तक पढ़ती है', तथा 'चित्र बनाती है' ये विधेय है।
उद्देश्य एवं विधेय का विस्तार
उद्देश्य का विस्ता:- वाक्य में कर्ता अकेला आता है- लेकिन कई बार उसकी विशेषता प्रकट करने हेतु कई शब्द या वाक्यांश कर्ता के साथ जोड़ा जाता है। इसे उद्देश्य का विस्तार (कर्ता का विस्तार) कहते हैं।
विधेय का विस्तार:- विधेय के अर्थ में विशेषता प्रकट करने वाले शब्द या वाक्यांश विधेय का विस्तार कहलाता है।