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विशेषण एवं उनके भेद।

विशेषण:- जो शब्द संज्ञा एवं सर्वनाम की विशेषता बताते हैं, उन्हें विशेषण कहा जाता है। 
जैसे-लाल, काला, पीला, अच्छा, बुरा आदि।

विशेषण के चार भेद होते हैं
1. गुणवाचक विशेषण 
2. संख्यावाचक विशेषण 
3. परिमाणवाचक विशेषण 
4. सर्वनामिक विशेषण

1. गुणवाचक विशेषण 
जो शब्द किसी संज्ञा या सर्वनाम के रंग, गुण, दोष, दशा, स्वभाव, आकार आदि के विषय में बताते हैं उन्हें गुणवाचक विशेषण कहते हैं। 
जैसे:-
मोहन के पास लाल फूल है।
डरपोक लोमड़ी झाड़ी में छुपी है।
इन वाक्यों में 'लाल' शब्द फूल की, 'डरपोक' शब्द लोमड़ी की विशेषता का बोध करा रहे हैं। अतः ये गुणवाचक विशेषण है

2. संख्यावाचक विशेषण
जो शब्द किसी संज्ञा या सर्वनाम की संख्या का बोध कराते हैं उन्हें संख्यावाचक विशेषण कहते हैं।
जैसे:-
बाल्टी में कुछ आम रखें हैं।
वे तीनों बच्चे स्कूल जा रहे हैं।
पिताजी ने भिखारी को एक कंबल दिया।
इन वाक्यों में 'कुछ' शब्द आम की, 'तीनों' शब्द बच्चों की तथा 'एक' शब्द कंबल की संख्या का बोध करा रहा है। अतः ये संख्यावाचक विशेषण है

संख्यावाचक विशेषण दो प्रकार के होते हैं।
निश्चित संख्यावाचक और अनिश्चित संख्यावाचक


जिस विशेषण शब्द से निश्चित संख्या का बोध हो, उसे निश्चित संख्यावाचक विशेषण कहते हैं।
जैसे:-  पांच कलमें, बींस आदमी, दो कुर्सियां आदि।

जिस विशेषण शब्द से निश्चित संख्या का बोध नहीं हो, उसे अनिश्चित संख्यावाचक विशेषण कहते हैं।
जैसे:-  कुछ मकान,  बहुत-से फूल, अनेक लोग आदि।


3. परिमाणवाचक विशेषण 
जो शब्द किसी संज्ञा या सर्वनाम के परिमाण (नाप-तोल) का बोध कराते हैं उन्हें परिमाणवाचक विशेषण कहते हैं।
जैसे:- 
गिलास में थोड़ा दूध बचा है।
मैंने तीन मीटर कपड़ा खरीदा।
मां ने कुछ रुपए दिए।
इन वाक्यों में 'थोड़ा', 'तीन मीटर', तथा 'कुछ' शब्द क्रमश: दूध, कपड़ा एवं रुपए के परिमाण का बोध करा रहे है।

परिणाम वाचक विशेषण दो प्रकार के होते हैं।
निश्चित परिमाणवाचक एवं अनिश्चित परिमाणवाचक

जिस विशेषण शब्द से निश्चित मात्रा का बोध हो, उसे निश्चित परिमाणवाचक विशेषण कहते हैं।
जैसे:- पांच किलो चीनी, बींस लीटर पानी‌ आदि।

जिस विशेषण शब्द से निश्चित नाप-तोल का बोध नहीं हो, उसे अनिश्चित परिमाणवाचक विशेषण कहते हैं।
जैसे:- कुछ मिठाई, थोड़ा दूध, थोड़ा-सा आटा  आदि।


4. सर्वनामिक विशेषण
जो सर्वनाम शब्द संज्ञा से पहले आकर उसकी विशेषता बताते हैं, उन्हें सर्वनामिक विशेषण कहते हैं
जैसे:-
मेरे पिताजी शहर जा रहे हैं।
यह विद्यालय हमारा है।
वह चित्रकार सुंदर चित्र बनाता है।
वे लड़के क्रिकेट खेल रहे हैं।
इन वाक्यों में 'मेरे' 'यह' 'वह' 'वे' शब्द क्रमश: पिताजी, विद्यालय, चित्रकार एवं लड़कों की ओर संकेत कर रहे हैं अतः ये सर्वनामिक विशेषण है।

सर्वनाम और सर्वनामिक विशेषण में अंतर
वे शब्द जो संज्ञा के स्थान पर आते हैं सर्वनाम कहलाते हैं। जबकि ऐसे सर्वनाम शब्द जो संज्ञा से पहले आकर विशेषण का कार्य करते हैं, उसे सर्वनामिक विशेषण कहते हैं।

विशेषणों की तुलना
संज्ञा या सर्वनाम के गुण या दोष की तुलना करना ही विशेषण की अवस्थाएं कहलाती हैं। विशेषण की तीन अवस्थाएं है।

1. मूलावस्था
इस अवस्था में संज्ञा या सर्वनाम की विशेषता बताई जाती है। उसकी किसी से तुलना नहीं होती है।
जैसे:- अर्चना सुंदर है।

2. उत्तरावस्था
इस अवस्था में दो (संज्ञा या सर्वनामों) की परस्पर तुलना करके एक को दूसरे से अधिक या कम बताया जाता है।
जैसे:- अर्चना नीलिमा से सुंदर है।

3. उत्तमावस्था
इस अवस्था में दो या दो से अधिक (संज्ञा या सर्वनामों) की तुलना करके एक को सबसे श्रेष्ठ या कम बताया जाता है।
जैसे:- अर्चना सबसे अधिक सुंदर है।

विशेषणों की रचना
कुछ विशेषण तो मूल रूप से ही किसी-ना-किसी की विशेषता प्रकट करते हैं; जैसे: दुष्ट, मोटा, सुंदर, काला  चालाक आदि। इनके अतिरिक्त अधिकतर विशेषण संज्ञा, सर्वनाम, क्रिया तथा अव्यय की सहायता से बनाए जाते हैं।
1. संज्ञा से विशेषण
वर्ष           वार्षिक 
अर्थ          आर्थिक 
धर्म           धार्मिक 
दिन           दैनिक 
ठंड            ठंडा

2. सर्वनाम से विशेषण
मैं             मेरा 
तुम           तुम्हारा 
हम           हमारा 
कौन         कैसा 
यह           ऐसा 
वह           वैसा 
जो            जैसा
मुझे          मुझ-सा

3. क्रिया से विशेषण
बेचना          बिकाऊ 
टिकना         टिकाऊ 
पढ़ना          पढ़ाक 
लड़ना         लड़ाकू 
कमाना        कमाऊ 
तैरना          तैराक 
लूटना          लुटेरा

4. अव्यय विशेषताएं
ऊपर            ऊपरी 
बाहर            बाहर 
भीतर           भीतरी
तेज              तेजी 
आगे             अगला 
नीचे              निचला

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