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भारत का स्वाधीनता के लिए संघर्ष

अंग्रेजों ने भारत पर अपनी सत्ता स्थापित करके करोड़ों भारतीयों को गुलाम बना लिया । उनका शासन शोषण और अन्याय पर आधारित था। ब्रिटिश शासन में अपने हितों के लिए भारत के सभी वर्गों का शोषण किया। नई भूमि व्यवस्था ने किसानों को रूष्ट किया। आर्थिक नीतियों ने उद्योगपतियों का शोषण किया। उनके पक्षपात से भारतीय सैनिकों में भारी रोष था। फूट डालो शासन करो की नीति से हिंदू और मुसलमान आंदोलित थे। जनता शोषण और अन्याय के कारण कराह रही थी। पीड़ित और शोषित भारतीय जनमानस इस अत्याचारी शासन से मुक्ति पाने को लालायित थी।
19वीं शताब्दी में भारत में राष्ट्रवाद का उदय हुआ। फ्रांसीसी क्रांति की सफलता ने भारतीयों के हृदय में स्वतंत्रता की चिंगारी भड़का दी। भारत का जनमानस समझ गया कि ब्रिटिश शासन के अधीन उनका भविष्य सुरक्षित नहीं है। भारत की जनता में एकजुट होकर संघर्ष करने की भावना बलवती हो उठी। भारतीय जनता के यह चेतना भारत मां को विदेशी आक्रांताओं से मुक्त कराने के लिए सक्रिय हो उठा। 1885 ई० में भारत में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना ने स्वतंत्रता संघर्ष में एक नया अध्याय जोड़ दिया। कांग्रेस एक देशव्यापी संगठन बन गई। इसी से भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने स्वतंत्रता के संघर्ष में बड़ी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। स्टाफ प्रथम अधिवेशन मुंबई में संपन्न हुआ। कांग्रेस स्वतंत्रता सेनानियों को एकजुट करने का एक मंच था। इसके प्रमुख नेता गोपाल कृष्ण गोखले दादा भाई नौरोजी एस एन बनर्जी फिरोजशाह मेहता और बदरुद्दीन तैयबजी आदि थे। उन्हें नरमपंथी कहा जाता है। बाल गंगाधर तिलक बिपिन चंद्र पाल लाला लाजपत राय आदि गरमपंथी नेता थे। इनका मत अंग्रेजों से बलपूर्वक स्वतंत्रता प्राप्त करना था। तिलक का नारा था स्वतंत्रता मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है मैं इसे लेकर ही रहूंगा। कांग्रेस के नेतृत्व में स्वतंत्रता का संघर्ष दिनों दिन तेज होता चला गया। अंग्रेजों ने उन्नीस सौ 5 ईसवी बंग बंग करके बंगाल का बंटवारा कर दिया। पूरे देश में आंदोलन हुए और अंग्रेजों को यह कदम वापस लेना पड़ा। भारत में विदेशी माल का बहिष्कार करने के लिए स्वदेशी आंदोलन चलाया। भारत वासियों ने विदेशी माल की जगह जगह होली जला दी। भारत के कुछ उत्साही नवयुवक गांधीजी के हिंसात्मक आंदोलन से संतुष्ट नहीं थे उनका मत था कि लातों के भूत बातों से नहीं मानते। अंग्रेजों से भारत को स्वतंत्र कराने के लिए शक्ति का प्रयोग आवश्यक है। इन महान देशभक्तों ने क्रांति का पथ अपनाया। चंद्रशेखर आजाद सरदार भगत सिंह रामप्रसाद बिस्मिल सुखदेव और अशफाक उल्ला खां ऐसे ही क्रांतिवीर थे। इन क्रांतिकारियों ने ब्रिटिश शासन को हिला कर रख दिया। अनके क्रांतिकारियों को अंग्रेजों ने फांसी पर लटका दिया। इन क्रांतिकारियों के बलिदान ने भारत को स्वतंत्रता कराने में प्रमुख भूमिका अदा की।
अमृतसर नगर के जालियांवाला बाग में विरोध प्रदर्शन करते निहत्थे भारतीयों पर जनरल डायर ने गोलियां चलाई। इनमें अनेक भारतीयों का खून बह गया। इस निर्मम हत्या कांड ने समूचे भारत को हिला डाला। गांधी जी के नेतृत्व में सविनय अवज्ञा आंदोलन और असहयोग आंदोलन चलाए गए। असहयोग आंदोलन के कारण वकीलों ने न्यायालय छोड़ दिया विद्यार्थी विद्यालय छोड़ आए और सरकारी कर्मचारी ने कार्यालय छोड़ दिए। चौरीचौरा नामक स्थान पर हिंसा भड़कने पर गांधी जी ने इस आंदोलन को वापस ले लिया। सन 1927 ईस्वी में साइमन कमीशन भारत आया। कमीशन का संपूर्ण भारत में भारी विरोध किया। इसका विरोध करने पर पंजाब केसरी लाला लाजपत राय को इतना पीटा गया कि उनकी मृत्यु हो गई। 1929 में पाकिस्तान में रावी नदी के तट पर कांग्रेस के लाहौर अधिवेशन में पूर्ण स्वराज की घोषणा की गई। पूरे प्रदेश में हड़ताल है सत्याग्रह और प्रदर्शन आयोजित किए गए। महात्मा गांधी ने दांडी यात्रा करके नमक कानून तोड़ा। अंग्रेजों का दमन चक्र कठोरता से चलता रहा। 1942 ईस्वी में गांधी जी ने अंग्रेजों भारत छोड़ो नमक आंदोलन छेड़ दिया। उन्होंने देशवासियों को करो या मरो का नारा दिया। इस आंदोलन में अंग्रेजों को हिला कर रख दिया। सुभाष चंद्र बोस भारत माता को सैन्य बल से स्वतंत्र कराना चाहते थे। उन्होंने 1943 ईस्वी में सिंगापुर में आजाद हिंद फौज का निर्माण किया। उनका कहना था तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आजादी दूंगा। दिल्ली चलो और जय हिंद उनका लोकप्रिय नारा था। जापान की द्वितीय विश्व युद्ध में पराजय के साथ हैं आजाद हिंद फौज का संगठन टूट गया।
भारत वासियों की एकजुटता और असंतोष को देखकर अंग्रेज समझ चुके थे कि अब भारत को अधिक समय तक गुलाम रखना संभव नहीं है। उन्होंने कूटनीति का सहारा लिया और मुस्लिम लीग से धर्म के आधार पर अलग पाकिस्तान की मांग रख करवा दी। अंग्रेजों ने 15 अगस्त 1947 ईस्वी की अर्धरात्रि में भारत को स्वतंत्र कर दिया। अंग्रेज जाते-जाते भारत को दो टुकड़ों में बैठ गए। इस प्रकार भारत और पाकिस्तान दो प्रथम स्वतंत्र राष्ट्र बन गए वास्तव में लंबे संघर्ष और भारी बलिदानों के बाद ही हमें स्वतंत्रता की किरणें देखने का सौभाग्य प्राप्त हो सका पंडित जवाहरलाल नेहरू स्वतंत्र भारत के प्रथम प्रधानमंत्री बने।

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2 October * ये बातें सिखाती हैं

गांधी जी - शास्त्री जी की ये बातें सिखाती हैं जीवन जीने की कला । 2 अक्टूबर को देश की दो महानविभूतियों महात्मा गांधी (2 अक्टूबर 1869 ) और लालबहादुर शास्त्री ( 2 अक्टूबर 1904) ने जन्म लिया था। इन दोनों स्वतंत्रता सेनानियों ने देश को ब्रिटिश हुकूमत से आजाद कराने में अतिमहत्वपूर्ण भूमिका निभाई।  बापू ने हमें 'सत्य और अहिंसा' के मार्ग पर चलना सिखाया, तो शास्त्री जी ने 'जय जवान-जय किसान' का नारा दिया। जो जीवन जीने की कला सिखाते हैं। आइये आपको गांधी जी और शास्त्री जी के कुछ ऐसे ही विचारों से रूबरू कराते हैं। * ऐसे जिएं जैसे कि आपको कल मरना है और सीखें ऐसे, जैसे आपको हमेशा जीवित रहना है। * डर शरीर की बीमारी नहीं है, यह आत्मा को मारता है।  * विश्वास करना एक गुण है, अविश्वास दुर्बलता की जननी।  * जो समय बचाते हैं वे धन बचाते हैं और बचाया धन, कमाए हुए धन के समान महत्वपूर्ण है।  * आंख के बदले आंख पूरे विश्व को अंधा बना देगी। * आजादी का कोई मतलब नहीं यदि इसमें गलती करने की आजादी शामिल न हो। * प्रसन्नता ही एकमात्र ऐसा इत्र है, जिसे आप दूसरों पर छिड़ते हैं तो कुछ बूंदे...

List of Union Territories and all states of India in 2022.

State                                      Capital 01. Andhra Pradesh.        Hyderabad 02. Arunachal Pradesh.   Itanagar 03. Assam.                        Dispur 04. Bihar.                            Patna 05. Chhattisgarh.              Raipur 06. Goa.                              Panaji 07. Gujarat.                        Gandhinagar 08. Haryana.                      Chandigarh 09. Himachal Pradesh.     Shimla 10. Jharkhand.                   Ranchi ...

स्वर सन्धि

* स्वर सन्धि * दो स्वर वर्णों के मिलने से जो विकार उत्पन्न होता है, उसे स्वर सन्धि कहते है। पुस्तक + आलय = पुस्तकालय यहाँ 'पुस्तक' शब्द का अंतिम स्वर 'अ' (क = क्+अ) एवं 'आलय' शब्द का पहला स्वर 'आ' दोनों स्वरों के मिलने (अ+आ) से 'आ' स्वर की उत्पत्ति होती है, जिससे पुस्तकालय शब्द का निर्माण हुआ स्वरों के ऐसे मेल को स्वर संधि कहते हैं। स्वर सन्धि के पाँच भेद हैं : 1. दीर्घ सन्धि 2. गुण सन्धि 3. वृद्धि सन्धि 4. यण् सन्धि 5. अयादि सन्धि । 1. दीर्घ सन्धि दीर्घ सन्धि : ह्रस्व स्वर या दीर्घ स्वर के आपस में मिलने से यादि सवर्ण यानि उसी जाति के दीर्घ स्वर की उत्पत्ति हो तो उसे दीर्घ स्वर कहते हैं। अ / आ + अ / आ = आ       इ / ई + इ / ई = ई उ / ऊ + उ / ऊ = ऊ            जैसे:- 1.'अ / आ' के साथ 'अ / आ' हो तो 'आ' बनता है (अ + अ = आ)  हिम + अचल = हिमाचल। (अ + आ = आ)  रत्न + आकर = रत्नाकर    (आ + अ = आ)  विद्या + अर्थी = विद्यार्थी     (आ + आ = आ) वि...