Skip to main content

आजादी की लड़ाई में बिहार की भूमिका

आजादी की लड़ाई में बिहार की भूमिका
भारत की स्वतंत्रता के लिए बिहार की धरती सन् 1857 से पहले से ही बैचेन रही थी। 1831 - 32में छोटानागपुर में और 1855 - 57 में संथाल परगना में अंग्रेजों के खिलाफ जोरदार आन्दोलन हुए। 1820 से 1868 ई. तक चलने वाला 'वहाबी आन्दोलन' का सबसे बड़ा केन्द्र पटना ही रहा। यह आन्दोलन मूल रूप से मुस्लिम सुधारवादी आन्दोलन था
बिहार के आदिवासियों ने लगभग पचास वर्षों तक अंग्रेजों से संघर्ष किया। आजादी के लिए बलिदान किया। 5 जुलाई, 1855 को आदिवासी नेता सिद्धू कान्हू को अंग्रेजी फौज ने गोलियों से मौत के घाट उतार दिया। जल, जंगल जमीन और आदिवासी अस्मिता की रक्षा के लिए संताल जनजाति के प्रतिरोध की यह सबसे बड़ी घटना थी.
आदिवासियों ने अंग्रेजों से लोहा लिया था। इसी लड़ाई में तिलका माँझी शहीद हुए। इनका भव्य स्मारक भागलपुर में है।
सन् 1857 की क्रांति को आजादी की पहली लड़ाई कहा जाता है। इसी लड़ाई में कलकत्ता के समीप बैरकपुर छावनी में बिहार के सैनिक मंगल पांडे ने पहली गोली अंग्रेजों पर चलायी थी
जिन्हें फाँसी दे दी गयी। इसी वर्ष 12 जून को देवघर के समीप रोहिणी गाँव में ब्रिटिश सेना की पाँचवी इर्रेगुलर केवेलरी कम्पनी की टुकड़ी ने विद्रोह किया। 8 सितम्बर (1857 ई.) को विद्रोहियों ने गया जेल से 400 कैदियों को छुड़ा लिया। दानापुर कैंट की तीन टुकड़ियों ने भी विद्रोह का झण्डा उठा लिया।

जगदीशपुर के जमींदार 80 वर्षीय वीर कुँवरसिंह अंग्रेजों से लड़ने लगे और वीरतापूर्वक ब्रिटिश सैनिकों के छक्के छुड़ा दिये। अन्त में लड़ते लड़ते शहीद हो गये।
अमरसिंह ने ब्रिटिश सैनिकों के विरुद्ध दीर्घकाल तक छापामार युद्ध किया। संचार व्यवस्था को छिन्न-भिन्न कर दिया। 1857 ई. के 7 अक्टूबर को ब्रिटिश फौज की 5वीं इरेगुलर केवेलरी ने
विद्रोह किया और कई अंग्रेजों को मार डाला। पटना 1857 के विद्रोहियों का केन्द्र बन गया था।
1895 ई. में दक्षिण बिहार के आदिवासियों ने अंग्रेजों के खिलाफ जमकर संघर्ष किया। इस संघर्ष का नेतृत्व बिरसा मुंडा ने किया। आदिवासी आज भी इनको आदर से 'बिरसा भगवान' कहते हैं।
1908 ई० में खुदीराम बोस ने मुजफ्फरपुर में अंग्रेज जज पर बम फेंका। वे तो पकड़े गये किंतु उनका साथी प्रफुल्ल चाकी ने गिरफ्तारी से बचने के लिए अपने आप को गोली मार ली।
जिस समय मुजफ्फरपुर जेल में क्रांतिकारी खुदीराम बोस को फाँसी दी गयी उस समय उनकी आयु केवल 15 वर्ष की थी।
चम्पारण में अंग्रेजों ने नील की खेती शुरू की थी। इसमें किसानों का शोषण होता था। उनपर अत्याचार होते थे। 1916 ई० में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के कलकत्ता अधिवेशन में चम्पारण के इस अत्याचार पर विचार-विमर्श हुआ। महात्मा गाँधी इस अधिवेशन में थे। बिहार के कांग्रेसी किसान
कार्यकर्त्ता राजकुमार शुक्ल ने गाँधी जी को चम्पारण में आन्दोलन करने के लिए प्रेरित किया। 1917 ई० में गाँधी जी ने चम्पारण में अपना पहला सत्याग्रह आंदोलन शुरू किया। यहीं से महात्मा गाँधी का भारत में सक्रिय राजनीतिक जीवन शुरू हुआ। आन्दोलन सफल हुआ। किसानों को छूट मिली। इसी आन्दोलन ने देश को डॉ० राजेन्द्र प्रसाद जैसी विभूति दी।

Popular posts from this blog

2 October * ये बातें सिखाती हैं

गांधी जी - शास्त्री जी की ये बातें सिखाती हैं जीवन जीने की कला । 2 अक्टूबर को देश की दो महानविभूतियों महात्मा गांधी (2 अक्टूबर 1869 ) और लालबहादुर शास्त्री ( 2 अक्टूबर 1904) ने जन्म लिया था। इन दोनों स्वतंत्रता सेनानियों ने देश को ब्रिटिश हुकूमत से आजाद कराने में अतिमहत्वपूर्ण भूमिका निभाई।  बापू ने हमें 'सत्य और अहिंसा' के मार्ग पर चलना सिखाया, तो शास्त्री जी ने 'जय जवान-जय किसान' का नारा दिया। जो जीवन जीने की कला सिखाते हैं। आइये आपको गांधी जी और शास्त्री जी के कुछ ऐसे ही विचारों से रूबरू कराते हैं। * ऐसे जिएं जैसे कि आपको कल मरना है और सीखें ऐसे, जैसे आपको हमेशा जीवित रहना है। * डर शरीर की बीमारी नहीं है, यह आत्मा को मारता है।  * विश्वास करना एक गुण है, अविश्वास दुर्बलता की जननी।  * जो समय बचाते हैं वे धन बचाते हैं और बचाया धन, कमाए हुए धन के समान महत्वपूर्ण है।  * आंख के बदले आंख पूरे विश्व को अंधा बना देगी। * आजादी का कोई मतलब नहीं यदि इसमें गलती करने की आजादी शामिल न हो। * प्रसन्नता ही एकमात्र ऐसा इत्र है, जिसे आप दूसरों पर छिड़ते हैं तो कुछ बूंदे...

List of Union Territories and all states of India in 2022.

State                                      Capital 01. Andhra Pradesh.        Hyderabad 02. Arunachal Pradesh.   Itanagar 03. Assam.                        Dispur 04. Bihar.                            Patna 05. Chhattisgarh.              Raipur 06. Goa.                              Panaji 07. Gujarat.                        Gandhinagar 08. Haryana.                      Chandigarh 09. Himachal Pradesh.     Shimla 10. Jharkhand.                   Ranchi ...

स्वर सन्धि

* स्वर सन्धि * दो स्वर वर्णों के मिलने से जो विकार उत्पन्न होता है, उसे स्वर सन्धि कहते है। पुस्तक + आलय = पुस्तकालय यहाँ 'पुस्तक' शब्द का अंतिम स्वर 'अ' (क = क्+अ) एवं 'आलय' शब्द का पहला स्वर 'आ' दोनों स्वरों के मिलने (अ+आ) से 'आ' स्वर की उत्पत्ति होती है, जिससे पुस्तकालय शब्द का निर्माण हुआ स्वरों के ऐसे मेल को स्वर संधि कहते हैं। स्वर सन्धि के पाँच भेद हैं : 1. दीर्घ सन्धि 2. गुण सन्धि 3. वृद्धि सन्धि 4. यण् सन्धि 5. अयादि सन्धि । 1. दीर्घ सन्धि दीर्घ सन्धि : ह्रस्व स्वर या दीर्घ स्वर के आपस में मिलने से यादि सवर्ण यानि उसी जाति के दीर्घ स्वर की उत्पत्ति हो तो उसे दीर्घ स्वर कहते हैं। अ / आ + अ / आ = आ       इ / ई + इ / ई = ई उ / ऊ + उ / ऊ = ऊ            जैसे:- 1.'अ / आ' के साथ 'अ / आ' हो तो 'आ' बनता है (अ + अ = आ)  हिम + अचल = हिमाचल। (अ + आ = आ)  रत्न + आकर = रत्नाकर    (आ + अ = आ)  विद्या + अर्थी = विद्यार्थी     (आ + आ = आ) वि...