* भाषा की उत्पत्ति *
भाषा नदी की धारा की तरह चंचल है। वह रुकना नहीं जानती यदि कोई इससे बलपूर्वक रोकना भी चाहे तो भाषा उसके बंधन को तोड़ आगे निकल जाती है। यह उसकी स्वभाविक प्रकृति और प्रवृत्ति है। हर देश की भाषा के इतिहास में ऐसी बात देखी जाती है।
*भाषा का महत्व*
संसार में कुल मिलकर लगभग 2800 भाषाएं हैं, जिनमें 13 ऐसी भाषाएं हैं, जिनके बोलनेवालों की संख्या 60 करोड़ से अधिक है। संसार की भाषाओं में हिंदी भाषा को तृतीय स्थान प्राप्त है। इसके बोलनेवालों की संख्या 30 करोड़ के आसपास है। भारत के बाहर वर्मा, लंका, माॅरिशस, टिनिडाड, फीजी,मलाया, सुरीनाम, दक्षिण और पूर्वी अफ्रीका में हिंदी बोलनेवालों की संख्या काफी है। एशिया महादेश की भाषाओं में हिंदी ही एक ऐसी भाषा है जो अपने देश के बाहर बोली और लिखी जाती है।
*भाषा की प्रकृति*
भाषा वाक्यों से बनती है, वाक्य शब्दों से और शब्द मूल ध्वनियों से बनते हैं। इस तरह वाक्य, शब्द और मूल ध्वनियां ही भाषा के अंग हैं।व्याकरण में इन्हीं के अंग- प्रत्यंगों का अध्ययन-विवेचन होता है। अतएव, व्याकरण भाषा पर आश्रित है।
गांधी जी - शास्त्री जी की ये बातें सिखाती हैं जीवन जीने की कला । 2 अक्टूबर को देश की दो महानविभूतियों महात्मा गांधी (2 अक्टूबर 1869 ) और लालबहादुर शास्त्री ( 2 अक्टूबर 1904) ने जन्म लिया था। इन दोनों स्वतंत्रता सेनानियों ने देश को ब्रिटिश हुकूमत से आजाद कराने में अतिमहत्वपूर्ण भूमिका निभाई। बापू ने हमें 'सत्य और अहिंसा' के मार्ग पर चलना सिखाया, तो शास्त्री जी ने 'जय जवान-जय किसान' का नारा दिया। जो जीवन जीने की कला सिखाते हैं। आइये आपको गांधी जी और शास्त्री जी के कुछ ऐसे ही विचारों से रूबरू कराते हैं। * ऐसे जिएं जैसे कि आपको कल मरना है और सीखें ऐसे, जैसे आपको हमेशा जीवित रहना है। * डर शरीर की बीमारी नहीं है, यह आत्मा को मारता है। * विश्वास करना एक गुण है, अविश्वास दुर्बलता की जननी। * जो समय बचाते हैं वे धन बचाते हैं और बचाया धन, कमाए हुए धन के समान महत्वपूर्ण है। * आंख के बदले आंख पूरे विश्व को अंधा बना देगी। * आजादी का कोई मतलब नहीं यदि इसमें गलती करने की आजादी शामिल न हो। * प्रसन्नता ही एकमात्र ऐसा इत्र है, जिसे आप दूसरों पर छिड़ते हैं तो कुछ बूंदे...