आदरणीय गुरुजनों एवं उपस्थित सभी सम्माननीय अतिथियों को सादर प्रणाम एवं मेरे मित्रों का हार्दिक अभिनंदन। साथ ही आप सभी का तहे दिल से शुक्रगुजार हैं कि आज मैं इस शुभ अवसर पर इस गौरवशाली दिन पर मुझे आपके समक्ष बात रखने का अवसर प्रदान किया गया यह मेरे लिए बड़े सौभाग्य की बात है।
मैं उन शहीदों का, देश के जवान हीरो का, जिसकी क्रांतिकारियों का गुणगान करूं उससे पहले हम यहां पर यह स्वतंत्र दिवस मना रहे हैं और हर साल बनाते आए हैं लेकिन इस आजादी के लिए हमने क्या खोया है इतने बलिदान हुए हैं इस बारे में नहीं सोचते
मगर आज की आजादी कल के हमारे बलिदानों से मिली है। यह तिरंगा जो आसमान की ऊंचाइयों को छूते हुए लहरा रहा है। तो हमारे चेहरे पर खुशी छा जाती है इस तिरंगे का सम्मान हमेशा करना चाहिए।
रहे तिरंगा ऊंचा हर द बात है यह सम्मान की,
देश भक्ति वंदे मातरम हर दिल के अरमान की,
राणा, शिवा, भगत सिंह वीरों के बलिदान की,
सदा सलामत रहे हमेशा धरती हिंदुस्तान की।
यह वह धरती है यह वह भारत है जो सोने की चिड़िया कहलाता था इस देश पर सदियों से दुश्मनों की नजर रही है और जब जब मौका मिला है इसे लुटा दिया है कभी मुगलों ने हमले किए तो कभी अंग्रेजों ने गुलाम बनाया मगर आगे यह नहीं होना चाहिए।
गुलामी की जंजीरों से हमें आजाद कराने के लिए जो खून बहा जुनून लड़ाइयां लड़ी गई सीने पर गोलियां खाई गई भूल नहीं सकते अरे हमारी